काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू पिछले दो दिनों से विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहर (polluted city) बन रहा है। अत्यधिक प्रदूषण के कारण आम लोगों में आंखों में जलन, सीने में दर्द, दम घुटने जैसी शिकायतें आम हो गई हैं। सरकार ने अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है।
काठमांडू बीते मंगलवार से लगातार ही विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो रहा है। दिनभर धुंध के कारण धूप का प्रकाश नहीं पहुंच पा रहा है। इस समय राजधानी के अस्पतालों में लोग अपनी आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई तथा दम घुटने जैसी शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
पर्यावरण विभाग के अनुसार, काठमांडू का वायु प्रदूषण एक अस्वास्थ्यकर स्तर पर पहुंच गया है, जिससे यह दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गया है। आईक्यू एयर (IQAir) के आंकड़ों से पता चलता है कि शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बुधवार को 268 पर पहुंच गया, जो 151-200 की अस्वास्थ्यकर सीमा को पार कर गया और 300 से ऊपर खतरनाक स्तर के करीब है।
काठमांडू के अस्पतालों में आंखों में जलन, गले में खराश, लगातार खांसी और श्वसन संकट से पीड़ित रोगियों में तेज वृद्धि हुई है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राजू पंगेनी (Dr. Raju Pangeni) ने कहा कि हाल के दिनों में उन्होंने जिन रोगियों का इलाज किया है, उनमें से आधे से अधिक वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं विकसित हुई हैं। कई रोगी लंबे समय तक खांसी करते नजर आए तो कई वायरल संक्रमण से ग्रसित हैं।
अस्पतालों के आपातकालीन कक्ष और आईसीयू में इतने अधिक रोगी दिखाई दे रहे हैं जिससे ऑक्सीजन की कमी हो गई है। निमोनिया और गंभीर श्वसन संकट वाले रोगियों की संख्या अस्पताल की क्षमता से अधिक हो गई है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या अधिक होने से वेंटिलेटर की भी कमी महसूस की जा रही है। इस वायु प्रदूषण के सबसे अधिक शिकार बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हो रही है।
वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ (experts) बिगड़ते प्रदूषण को जंगल की आग, वाहनों के उत्सर्जन और औद्योगिक प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराते हैं। वाइल्डफायर विशेषज्ञ सुंदर प्रसाद शर्मा ने कहा कि वर्तमान प्रदूषण का 80% जंगल की आग से उपजा है। वर्तमान में नेपाल में 300 से अधिक जंगल की आग जल रही है। इनमें परसा, चितवन, मकवानपुर, सिंधुली और उदयपुर जिलों के जंगलों में पिछले कई दिनों से लगातार आगलगी के कारण काठमांडू में फैले वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, स्थिर वायुमंडलीय परिस्थितियों ने घाटी में धूल और वाहनों से निकलने वाले धुंआ को प्रदूषण बढ़ने का कारक बताया है। पर्यावरण निरीक्षक गोविंद लामिछाने ने कहा कि काठमांडू में जब तक बारिश नहीं हो जाती तब तक प्रदूषण का यह असर जारी रहेगा।
नेपाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक डॉ संगीता मिश्रा ने कहा है कि लोगों को अनावश्यक घरों से नहीं निकलने की सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात की सिफारिश की गई है कि जब तक वायु प्रदूषण का असर कम नहीं होता तब तक राजधानी के सारे विद्यालयों को बंद कर दिया जाए। साथ ही हफ्ते में दो दिनों का अवकाश देने और वाहनों को जोड़ बेजोड़ प्रणाली में चलाने की सिफारिश की गई है।
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Thu, Apr 03 , 2025, 10:29 PM