Waqf case: भारत में वक्फ एक्ट (Waqf Act in India) काफी समय से विवाद के केंद्र में है और अब एक बार फिर से ये सुर्खियों में है. हालाँकि यह कानून अरब देशों और कई मुस्लिम-बहुल देशों में ज्यादा मौजूद नहीं है, लेकिन भारत में इसने काफी विवाद पैदा कर दिया है. चूंकि वक्फ संशोधन विधेयक शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है, इसलिए इस मुद्दे ने राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया है. कई मुस्लिम देशों में वक्फ पर कानून खामोश हैं तो भारत में इस पर हंगामा क्यों है? आइए जानें.
विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून अल्पसंख्यकों की संपत्ति और अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास है.तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और एमआईएम जैसी 16 पार्टियां इसके खिलाफ हैं. इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस ने सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है. वहीं सरकार का कहना है कि इस कानून का मकसद वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग रोकना और महिलाओं व कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना है.
वक्फ संपत्ति क्या है?
वक्फ संपत्ति वह संपत्ति है जिसे कोई मुसलमान धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों के लिए 'अल्लाह' (Allah) के नाम पर समर्पित करता है. ऐसी संपत्ति केवल अल्लाह के नाम पर होती है, जिसे बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है.वक्फ बोर्ड, जो इन संपत्तियों का प्रबंधन करता है, की स्थापना 1913 में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी.
वक्फ की शुरुआत कैसे हुई?
इतिहास पर नजर डालें तो वक्फ की अवधारणा सुल्तानों के समय में शुरू हुई थी.सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम गोरी ने मुल्तान की जामा मस्जिद के लिए दो गाँव दान में दिये. इसे पहली वक्फ संपत्ति माना जाता है. बाद के सल्तनत काल में वक्फ संपत्ति का दायरा तेजी से बढ़ा. आज भारत के पास वक्फ संपत्तियों का विशाल भंडार है. वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास करीब 9 लाख 54 हजार एकड़ जमीन है. साथ ही यहां साढ़े आठ लाख से ज्यादा घर और इमारतें हैं. इन सभी संपत्तियों की कुल कीमत डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी गई है. दिलचस्प बात यह है कि ये आय केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा किसी कर या प्रत्यक्ष नियंत्रण के अधीन नहीं है. वक्फ बोर्ड उनका एकमात्र मालिक है.
वक्फ संपत्ति पर विवाद क्यों?
वक्फ बोर्ड को किसी जमीन या घर पर कब्जा लेने का अधिकार है अगर उसे उसकी संपत्ति घोषित किया जाता है. इसके चलते अक्सर यह आरोप सामने आते रहे हैं कि वक्फ बोर्ड की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. चर्चित है बिहार के गोविंदपुर गांव का मामला, जहां वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव पर अपनी संपत्ति होने का दावा किया था. यह बात गांव वालों के लिए चौंकाने वाली थी. मामला कोर्ट तक पहुंच गया. ऐसी ही एक घटना तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई गांव में हुई है, जहां वक्फ बोर्ड ने 1,500 साल पुराने मंदिर और आसपास की जमीन पर कब्जे का दावा किया है.ये विवाद यह सवाल उठाते हैं कि वक्फ बोर्ड ने इतनी बड़ी संपत्ति और शक्ति कैसे अर्जित की और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं.
वक्फ अधिनियम पहली बार भारत में 1954 में अधिनियमित किया गया था और वक्फ बोर्ड को व्यापक अधिकार देने के लिए 1995 में इसमें संशोधन किया गया था. इन शक्तियों के कारण अक्सर वक्फ संपत्ति के दुरुपयोग और अवैध कब्जे के आरोप लगते रहे हैं.
क्यों चल रही है बदलाव की तैयारी?
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में वक्फ संपत्तियों की पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने, जिला कलेक्टर को विवादित संपत्तियों को नियंत्रित करने का अधिकार देने और सरकारी भूमि को वक्फ संपत्ति मानने से रोकने के प्रावधान हैं. विधेयक पर चर्चा के लिए जेपीसी की 25 बैठकें हो चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक, समिति के 500 पन्नों के मसौदे में बिल को बिना संशोधन के पारित करने की सिफारिश की गई है. लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ है.इस विवाद के मद्देनजर, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वक्फ अधिनियम में सुधार से भारत में सुलह होगी या यह और अधिक विभाजनकारी हो जाएगा.
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Fri, Nov 29, 2024, 09:20