वाशिंगटन। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा है कि 2014 के मुकाबले 2024 के आम चुनाव (2024 general elections) तक की राजनीति पूरी तरह से बदल चुकी थी और खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को एहसास हो गया था कि उनका 400 पार का नारा लक्ष्य को नहीं भेद रहा है और इसकी बुनियाद ध्वस्त हो चुकी है।
श्री गांधी ने यहां जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी (Georgetown University) में छात्रों के साथ बातचीत में कहा कि राजनीति में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। श्री मोदी जिस राजनीति के जरिये 2014 में सत्ता में आए, 2024 में वह पूरी तरह से बदल चुकी थी और श्री मोदी के नेतृत्व वाले गठबंधन को निष्पक्ष चुनाव में 240 सीट जीतना भी कठिन हो सकता था।
उन्होंने कहा, “राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, यह एक प्रतियोगिता है और यह इसका सिर्फ एक हिस्सा है। मुझे लगता है कि जिस तरह से मैं इसे देखता हूं, इसने हमें और इंडिया गठबंधन (India Alliance) को यह सोच दी है कि हम कैसे आगे बढ़ें। आज के भारत में राजनीति बुनियादी तौर पर बदल गई है। हमारे यहां दूर दृष्टिकोण पर राजनीतिक केंद्रित है। हमारी राजनीति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं, उनकी सोच से हमारी लड़ाई है और हम उससे लड़ते हैं। हम एक नई दृष्टि की नींव रखने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने समय-समय पर ऐसा किया भी है।”
श्री गांधी ने कहा, “यह भी समझने की जरूरत है कि वर्ष 2014 में जो ताकतें श्री मोदी को सत्ता में लाई थीं, वह अब पुरानी पड़ गई हैं। कई चीज़ें एक साथ आईं। चुनाव से पहले हम इस बात पर जोर दे रहे थे कि संस्थानों पर कब्जा किया जा रहा है, शिक्षा प्रणाली पर आरएसएस का कब्जा है, मीडिया का कब्जा है और जांच एजेंसियों का कब्जा है। हालाँकि लोग इसे समझ नहीं रहे थे और हम इसका कारण समझ नहीं पा रहे थे।”
जाति व्यवस्था से जुड़ी राजनीति पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि आधुनिक भारत लंबे समय से संविधान के पक्ष या विपक्ष में इस संघर्ष में लगा हुआ है। यह वास्तव में इसका मूल है - यह विचार कि सभी भारतीयों को समान होना चाहिए और जातियों के पदानुक्रम के विपरीत समान व्यवहार किया जाना चाहिए। यह संघर्ष है, और यह कोई नया नहीं है। यह एक दार्शनिक लड़ाई है और इसकी अपनी राजनीतिक संरचना है।”
उन्होंने कहा, “एक बैठक में, हमारे साथ काम कर रहे किसी व्यक्ति ने कहा, 'संविधान को थामने का प्रयास करें। हमने संविधान को पकड़ना शुरू कर दिया और अचानक हम जो कुछ भी कह रहे थे वह राजनीतिक रूप से विस्फोटक हो गया। इस चुनाव में भारत को एहसास हुआ कि इसे इतनी बेरहमी से विभाजित नहीं किया जाना चाहिए, साथ ही गरीब, वंचित और उत्पीड़ित भारत को यह समझ में आया कि यदि संविधान से समझौता किया जाता है तो पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है। वह चौंकाने वाला एहसास था जो मैंने देखा। गरीब लोग गहराई से समझ गए कि अब यह संविधान की रक्षा करने वालों और इसे नष्ट करने वालों के बीच की लड़ाई है।”
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता था कि निष्पक्ष चुनाव में भाजपा 240 सीटों के आसपास भी आएगी। मुझे आश्चर्य हुआ। उन्हें भारी वित्तीय लाभ हुआ और उन्होंने हमारे बैंक खाते बंद कर दिये। चुनाव आयोग वही कर रहा था, जो वे चाहते थे। पूरे अभियान की संरचना इस प्रकार की गई थी कि श्री मोदी अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग डिज़ाइन के साथ, पूरे देश में अपना एजेंडा चला सकें। मैं इसे स्वतंत्र चुनाव के रूप में नहीं देखता। मैं इसे अत्यधिक नियंत्रित चुनाव के रूप में देखता हूं।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “प्रचार के दौरान मुझे लगा कि श्री मोदी को नहीं लगता कि उन्हें 400 के करीब सीटें मिलेंगी। शुरू में ही, उन्हें एहसास हुआ कि चीजें गलत हो रही थीं और हमें सामान्य स्रोतों से जानकारी मिल रही थी। कुछ ख़ुफ़िया एजेंसियां भी हमें जानकारी मुहैया करा रही थीं। यह बिल्कुल स्पष्ट था कि वे संकट में थे और प्रधानमंत्री के भीतर यह आंतरिक संघर्ष चल रहा था, जिसे मैं देख सकता था। मनोवैज्ञानिक रूप से, यह ऐसा था, 'यह कैसे हो रहा है।'
उन्होंने कहा, “भारत में क्या हुआ है, आप देखेंगे कि श्री मोदी को सत्ता में लाने वाला गठबंधन ध्वस्त हो गया है। यह ठीक बीच से टूटा हुआ है। यह मूल विचार खत्म हो गया है कि श्री मोदी भारत के लोगों के लिए सरकार चला रहे हैं।”



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