जनता ने ईडी के आरोपों का खंडन किया; संसद पहुंचे ईडी और सीबीआई के कथित आरोपी!

Thu, Jun 06 , 2024, 07:18 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

पश्चिम बंगाल: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) की घोषणा से पहले दो एजेंसियां ​​करीब एक साल से देशभर में नेताओं के यहां छापेमारी कर रही थीं. दिलचस्प बात यह है कि ये सभी नेता बीजेपी विरोधी थे. उन एजेंसियों की कार्रवाई के डर से भाजपा पार्टी में शामिल होने वालों ने अपनी गतिविधियां बंद कर दीं. ये दो एजेंसियां ​​हैं प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) और सीबीआई. हालाँकि, विरोध करने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिव सेना ठाकरे सांसद संजय राउत इसके कुछ प्रमुख उदाहरण हैं. ईडी की जांच और कार्रवाई के डर से कई लोगों ने बीजेपी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. कुछ लोगों ने साहसपूर्वक उनका सामना किया. लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई. इसके बाद भी कुछ नेताओं के खिलाफ ईडी की जांच का दौर जारी रहा. हालाँकि, उन नेताओं ने लोकसभा चुनाव लड़ा. इतना ही नहीं जब उनकी ईडी जांच चल रही थी तब भी जनता ने उन्हें भारी वोट देकर लोकसभा भेजा था. आइए जानते हैं कौन हैं विजेता सांसद...

ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी सात लाख वोटों से जीते
टीएमसी प्रमुख, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के भतीजे और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी से ईडी ने पूछताछ की है. पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल नौकरी घोटाले के सिलसिले में ईडी ने उनसे करीब नौ घंटे तक पूछताछ की. अभिषेक बनर्जी(Abhishek Banerjee) ने डायमंड हार्बर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में अभिषेक ने बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत दास को सात लाख से ज्यादा वोटों से हराया. अभिषेक ने पूर्व सीपीआई (एम) सांसद अनिल बसु का 20 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में 6,82,502 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी चार लाख वोटों से जीते
2022 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ईडी के अधिकारियों ने पांच दिनों तक पूछताछ की. जांच यह देखने के लिए की गई थी कि नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले से उसका कोई लेना-देना है या नहीं. नेशनल हेराल्ड अखबार गांधी परिवार द्वारा चलाया जाता है. राहुल गांधी ने रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा. उन्होंने करीब चार लाख वोटों से जीत हासिल की. वे भारी मतों से निर्वाचित हुए. इस रिकॉर्ड में उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी को भी पीछे छोड़ दिया.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यूपी के नए हीरो हैं
2019 में, उत्तर प्रदेश राज्य के हमीरपुर जिले में कथित अवैध रेत खनन के मामले में सीबीआई ने अखिलेश यादव को तलब किया था. सीबीआई की एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है. लेकिन, उन्हीं अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया. इसके अलावा उन्होंने कन्नौज लोकसभा क्षेत्र से 1 लाख 70 हजार 922 वोटों से जीत हासिल की.

तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा को फिर से जनता का विश्वास हासिल हुआ
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा(Mahua Moitra) पर भी संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेने का आरोप लगा था. गैरकानूनी प्रथाएं अपनाने के कारण उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता खोनी पड़ी. हालांकि, लोगों ने कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र (Krishnanagar Lok Sabha constituency) से दोबारा जीत हासिल कर महुआ मोइत्रा पर अपना भरोसा जताया है. उन्होंने बीजेपी की अमृता रॉय को 56,705 वोटों से हराया. मोइत्रा को 628,789 वोट मिले जबकि रॉय को 572,084 वोट मिले.

दक्षिण मध्य मुंबई से सांसद अनिल देसाई
लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच दक्षिण मध्य मुंबई से ठाकरे समूह के उम्मीदवार अनिल देसाई से मुंबई पुलिस ने सात घंटे तक पूछताछ की. शिवसेना के अलग होने के बाद पुलिस ने जांच की थी कि शिवसेना के खाते से 50 करोड़ रुपये क्यों निकाले गए. इस पूछताछ के बाद अनिल देसाई ने नामांकन फॉर्म भरा. उन्होंने चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए. उन्होंने लोकसभा में शिंदे गुट के नेता और दो बार के सांसद राहुल शेवाले को हराया.

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भुपेश बघेल
महादेव सट्टेबाजी ऐप मामले में ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम आरोपियों की सूची में शामिल किया था. इस मामले के एक आरोपी ने बघेल को 524 करोड़ रुपये देने का दावा किया था. इसी मामले में दिसंबर में भूपेश बघेल की ओएसडी सौम्या चौरसिया को ईडी ने गिरफ्तार किया था. भूपेश बघेल ने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. हालाँकि, वे हार गए.

आरोप राजनीतिक जीवन को प्रभावित क्यों नहीं करते?
इस चुनाव में वे सभी नेता जीत गए जिनकी जांच ईडी या सीबीआई ने की थी. इसका मुख्य कारण यह है कि उन पर कोई अपराध सिद्ध नहीं हुआ है. ईडी या सीबीआई की जांच अभी पूरी नहीं हुई है. सबसे अहम बात यह है कि इस चुनाव में भ्रष्टाचार कोई चुनावी मुद्दा नहीं था. सिर्फ बिलासपुर से भूपेश बघेल की हार हुई. लेकिन, भ्रष्टाचार के आरोप उनकी हार का कारण नहीं हैं.

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