जलगांव। लोकसभा चुनाव (Jalgaon Lok Sabha elections) के नतीजे आज सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र में कई राजनीतिक घटनाक्रम (political developments) इस नतीजे पर निर्भर हैं. पिछले तीन सालों में महाराष्ट्र की राजनीति (politics of Maharashtra) में कई उतार-चढ़ाव आए हैं. इन उतार-चढ़ाव के बाद क्या अब महाराष्ट्र में राजनीतिक हालात स्थिर हैं? यह भविष्य में स्पष्ट हो जायेगा. उससे पहले महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव (assembly elections) होंगे. इस विधानसभा चुनाव की राजनीतिक गतिविधियां इस लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद शुरू होने की संभावना है. महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी (Shiv Sena and NCP) में फूट पड़ गई है. इसलिए लोकसभा चुनाव से यह साफ हो जाएगा कि इन दोनों पार्टियों में से किस गुट को आम जनता ने कितनी अच्छी प्रतिक्रिया दी है. इसलिए संभावना है कि विधानसभा में इसी हिसाब से सियासी गणित बिठाया जाएगा. उसके लिए जलगांव लोकसभा क्षेत्र ज्यादा महत्वपूर्ण है. क्योंकि जलगांव लोकसभा क्षेत्र (Jalgaon Lok Sabha constituency) में बीजेपी और शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे पार्टी के उम्मीदवार आमने-सामने थे. दोनों तरफ से कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. क्योंकि दोनों ही प्रत्याशियों ने क्षेत्र में जोरदार ताकत झोंकी थी.
जलगांव लोकसभा क्षेत्र दरअसल बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. 1991 से इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार जीतते आ रहे हैं. सिर्फ 1998 के चुनाव में कांग्रेस के उल्हास पाटिल को जीत मिली. लेकिन 1999 के लोकसभा आम चुनाव में बीजेपी की जीत हुई. तब हर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार की जीत हुई है. लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव और इस साल हुए चुनाव में काफी अंतर है. क्योंकि पिछले चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन था. लेकिन इस बार शिवसेना में फूट पड़ गई है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) द्वारा बुलाए गए विद्रोह के कारण शिवसेना दो गुटों में बंट गई है. एकनाथ शिंदे का गुट बीजेपी के साथ सत्ता में आ गया है. साथ ही शिंदे को शिवसेना पार्टी का नाम और सिंबल भी मिल गया है. इससे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा. शिव सेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने पार्टी की स्थापना की. उन्होंने पार्टी को बड़ा बनाया. खास बात यह है कि जब बाला साहेब ठाकरे की जान उद्धव ठाकरे थे, तब पार्टी का नाम और निशान उनसे दूर हो गए थे, इसलिए महाराष्ट्र में उनके प्रति जबरदस्त सहानुभूति देखने को मिली थी. लेकिन ये सहानुभूति वोटिंग में कितनी बदल गई है ये साफ हो रहा है.
क्या है जलगांव लोकसभा का नतीजा?
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में जलगांव में ठाकरे समूह के उम्मीदवार करण पवार और बीजेपी उम्मीदवार स्मिता वाघ (Smita Wagh) के बीच सीधा मुकाबला था. दोनों प्रत्याशियों ने जमकर प्रचार किया. जलगांव में मौजूदा भाजपा सांसद उन्मेश पाटिल का टिकट काट दिए जाने के बाद वह ठाकरे गुट में शामिल हो गए. उन्मेश पाटिल के साथ परोला नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष करण पवार भी ठाकरे समूह में शामिल हुए. इसके बाद करण पवार को ठाकरे ग्रुप की ओर से जलगांव लोकसभा का टिकट दिया गया. करण पवार के पास राजनीति की बहुत बड़ी विरासत है. इसलिए ये बीजेपी नेता स्मिता वाघ के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई बन गई है. यह बहुत कठिन लड़ाई थी. आख़िरकार अब जलगांव का नतीजा सामने आ गया है.
जलगांव लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार स्मिता वाघ ने करीब 2 लाख वोटों से जीत हासिल की है. स्मिता वाघ ने भारी अंतर से जीत हासिल की है. ठाकरे ग्रुप के उम्मीदवार करण पवार ने स्मिता वाघ को कड़ी टक्कर दी. उन्हें 3 लाख 33 हजार 288 वोट मिले. जबकि स्मिता वाघ को 5 लाख 25 हजार 600 वोट मिले हैं. स्मिता वाघ ने 1 लाख 92 हजार 312 वोटों से जीत हासिल की है. स्मिता वाघ के लिए ये जीत बेहद भावुक करने वाली है. क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में उनके लिए घोषित उम्मीदवारी रद्द कर दी गई थी. लेकिन फिर भी स्मिता वाघ पार्टी के प्रति वफादार रहीं. अब उन्हें उनकी वफादारी का फल मिल गया है.
जलगांव लोकसभा क्षेत्र में छह निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं, जलगांव शहर विधानसभा क्षेत्र, जलगांव ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र, अमलनेर विधानसभा क्षेत्र, एरंडोल विधानसभा क्षेत्र, चालीसगांव विधानसभा क्षेत्र, पचोरा विधानसभा क्षेत्र. इनमें से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में किसको कितने वोट मिलेंगे यह आज स्पष्ट हो रहा है.
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Tue, Jun 04 , 2024, 03:56 AM