जानें-भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त एवं व्रत विधि
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस प्रकार 22 दिसंबर को वर्ष का आखिरी संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना की जाती है। भगवान गणेश को 108 नामों से स्मरण किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणपति बप्पा की पूजा करता है। उसके सभी दुःख और क्लेश दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती है।
संकष्टी चतुर्थी महत्व
सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा करने का विधान है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि विघ्नहर्ता के नाम मात्र स्मरण से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। स्वयं भगवान ब्रह्मा जी ने संकष्टी चतुर्थी व्रत की महत्ता को बताया है। ऐसे में इस व्रत का अति विशेष महत्व है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा शुभ मुहूर्त और तिथि
संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ समय तिथि प्रात: काल 8 बजकर 15 मिनट से शुरु होकर संध्याकाल 9 बजकर 30 मिनट तक है। साधक दिन में किसी समय भगवान श्रीगणेश की पूजा वंदना कर सकते हैं। हालांकि शास्त्रानुसार, प्रात:काल के समय में पूजा करना उत्तम होता है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म बेला में उठें। इसके बाद नित्य कर्म से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब सर्वप्रथम आचमन कर भगवान गणेश के नििमत्त व्रत संकल्प लें और भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, भगवान गणेश जी की षोडशोपचार पूजा फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा, चंदन, तंदुल आदि से करें। भगवान गणेश जी को पीला पुष्प और मोदक अति प्रिय है। अतः उन्हें पीले पुष्प और मोदक अवश्य भेंट करें। अंत में आरती और प्रदक्षिणा कर उनसे सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें।



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Mon, Dec 20 , 2021, 07:20 AM