Nandi Bull In The Temple : क्या आप भगवान शिव के मंदिर में नंदी बैल रखने के पीछे का वैज्ञानिक कारण जानते हैं? अगर नहीं तो जानिए 

Sat, Apr 06, 2024, 12:46

Source : Hamara Mahanagar Desk

Nandi Bull in the temple : जब हम मंदिर में जाते हैं तो वहां अलग-अलग प्रतीक बने होते हैं। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने इस माध्यम से हमें एक विशिष्ट सांस्कृतिक संदेश (cultural message) देने का प्रयास किया है। ऐसा ही एक प्रतीक भगवान शंकर (Lord Shankar) के मंदिर में रखा जाने वाला नंदी बैल है। इस नंदी बैल को देखकर मन में विचार आता है कि आखिर मंदिर में नंदी बैल क्यों है? क्या आपके पास भी यही प्रश्न है? आइए इसके बारे में और जानें। 

दरअसल, हमारी हिंदू संस्कृति (Hindu culture) में हर भगवान का एक वाहन होता है। गणपति के चूहे की तरह भगवान शंकर का वाहन नंदी बैल है। बैल को नंदी कहा जाता है। नंदी का अर्थ है ख़ुशी. भगवान को सुख का वाहन पसंद है। नंदी का संदेश है कि भगवान के पास जाकर और उनका वाहन बनकर जीवन आनंदमय हो सकता है।

भगवान शंकर का वाहन नंदी
नंदी का अर्थ है वृषभ यानि बैल। भगवान शंकर ने बैल को वाहन के रूप में स्वीकार किया है। हमारे इस कृषि प्रधान देश में बैल का महत्वपूर्ण स्थान है। आमतौर पर शांत रहने वाले बैल के बारे में कहा जाता है कि उसका चरित्र अच्छा होता है और उसमें समर्पण की भावना होती है। इसके अलावा यह ताकत और शक्ति का प्रतीक (symbol of strength and power) है। बैल को मोह-माया और भौतिक सुखों से विरक्त जानवर भी माना जाता है। यह सीधे-सादे सज्जन जब जोश में आ जाते हैं तो शेर से भी लड़ सकते हैं। ये सभी कार्य हैं जिनके कारण भगवान शंकर ने बैल को अपने वाहन के रूप में चुना। शंकर का चरित्र भी बैल जैसा ही माना गया है।

'ये' हैं वैज्ञानिक कारण...
संस्कृति निर्माता भी मानव सृष्टि में मौजूद प्राणियों को गर्व से देखने और जीवन विकास का दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास करते हैं। हंस, मोर, चील, चूहे आदि को देवताओं के वाहन के रूप में दिखाया गया। जीवन की समृद्धि के लिए सृजन के प्रति आत्मीयता और सम्मान की भावना आवश्यक है।
हल से जुड़ने से मनुष्य को अनाज उगाने में मदद मिलती है। मांस से शाकाहार में परिवर्तित करने के ऋषियों के प्रयासों में बैल एक छोटी सी भूमिका निभाता है। इस छोटे किन्तु महत्वपूर्ण हिस्से को लेकर उसने ईश्वर के निकट स्थान प्राप्त कर लिया है।
नंदी का अर्थ है बैल, भागवतकार महर्षि वेद व्यास ने भागवत में बैल की उपमा देकर धर्म के महत्व को बताया है। बैल को धर्म का प्रतीक माना जाता है। अर्थात् धर्म को ईश्वर का अपना वाहन बनाकर रखा गया है।

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