Gudi Padwa 2024 : गुड़ी पाड़वा कब है? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Tue, Apr 02, 2024, 02:18

Source : Hamara Mahanagar Desk

Importance of Gudi Padwa: गुड़ी पाड़वा 2024 (Gudi Padwa 2024) का त्योहार महाराष्ट्र में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार से हिंदू नववर्ष (Hindu New Year) की शुरुआत होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार भारत में हर साल चैत्र शुद्ध प्रतिपदा (Chaitra Shuddha Pratipada) यानी वसंत ऋतु के पहले दिन गुड़ीपाड़वा का त्योहार (festival of Gudipadwa) मनाया जाता है। इस वर्ष यह गुढ़ीपाड़वा 9 अप्रैल 2024 (मंगलवार) को देशभर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

गुड़ी पाड़वा के दिन महाराष्ट्र में बहुत हर्षोल्लास होता है। हर जगह बहुत धूमधाम होती है, जैसे ढोल ताशों के जुलूस, मराठा धूमधाम के साथ परेड, रंगोलियाँ। गुड़ीपाड़वा पर घर-घर गुड़ी बनाकर भोग लगाया जाता है। मराठी नववर्ष का स्वागत हर्षोल्लास के साथ किया जाता है। 

गुड़ीपाड़वा का शुभ मुहूर्त
इस साल देशभर में गुड़ी पाड़वा का त्योहार 9 अप्रैल (मंगलवार) को मनाया जाएगा। इस दिन घर-घर में गुड़ी स्थापित कर पूरणपोली का प्रसाद बनाया जाता है। चैत्र माह की प्रतिपदा 8 अप्रैल (सोमवार) को रात 11:50 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन 9 अप्रैल को रात 8:30 बजे खत्म हो जाएगा। मंगलवार 9 तारीख को सुबह 6:02 बजे से 10:17 बजे तक पूजा का शुभ समय है। आप इस शुभ अवसर पर गुड़ी की पूजा कर सकते हैं और उसे खड़ा कर सकते हैं। 

गुड़ीपाड़वा का महत्व
महाराष्ट्र में गुड़ी पाड़वा के दिन घर-घर में गुड़ी की पूजा की जाती है और गुड़ी की स्थापना की जाती है। इस गुड़ी के पास रंगोली बनाई जाती है। गुड़ी को फूलों की माला और चीनी के गांठ की माला अर्पित की जाती है। गुड़ी पड़वा पर खड़ा किया गया गुड़ी एक ध्वज होता है और प्रतिपदा के दिन को मराठी में पाड़वा कहा जाता है।

इसलिए इस पर्व को गुड़ीपाड़वा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने गुढ़ीपाड़वा यानी चैत्र मास की प्रतिपदा के दिन ही सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इस तिथि और त्योहार का विशेष महत्व है। 

कैसे करें गुड़ी की पूजा?

  • गुड़ी पाड़वा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • साफ-सुथरे कपड़े पहनकर भगवान की पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए।
  • जिस स्थान पर गुढ़ी स्थापित करनी हो उस स्थान को साफ कर लेना चाहिए। घर की सफाई करें।
  • जिस स्थान पर गुड़ी स्थापित की जाती है उस स्थान पर रंगोली बनानी चाहिए, घर को फूलों की मालाओं से सजाना चाहिए।
  • घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों या अशोक के पत्तों और फूलों से बना तोरण बनाना चाहिए।

  • गुड़ी को खड़ा करने के लिए बांस या छड़ी को साफ करना चाहिए।
  • इस पर हल्दी-कुंकु लगाएं।
  • अब एक कलश पर हल्दी की सहायता से स्वस्तिक बनाएं।
  • अब इसके ऊपर रेशमी कपड़ा लपेट दें। उस पर फूलों की माला, चीनी की डली रखनी चाहिए और उसके चारों ओर नीम का पत्ता लपेटना चाहिए।
  • इसके बाद हल्दी-कुंकु, अक्षत लेकर गुड़ी की पूजा करनी चाहिए। अगरबत्ती, धूप लगाना चाहिए। इसके बाद नारियल को फोड़ लें।
  • गुड़ी को पूरनपोली का भोग लगाना चाहिए।
  • बेहतर स्वास्थ्य के लिए इस दिन गुड़ के साथ नीम खाने की परंपरा है। 

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