Papamochani Ekadashi 2024: इस व्रत को करने से कट जाता है बड़े से बड़ा पाप! जानें पापमोचनी एकादशी कब है और क्या है इसका महत्व? 

Tue, Apr 02, 2024, 11:07

Source : Hamara Mahanagar Desk

पापमोचनी एकादशी 2024: अनजाने में हमसे कुछ गलतियां हो जाती हैं या पाप हो जाते हैं, उन पापों का प्रायश्चित करने के लिए या उन पापों से छुटकारा पाने के लिए पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) का व्रत रखा जाता है। होली के बाद (after Holi) और पड़वा से पहले (before Padwa) यानी फाल्गुन माह में जो एकादशी आती है उसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि बिना सोचे-समझे किए गए पापों को नष्ट करने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। यह व्रत महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन (Lord Krishna to Arjun) को बताया था। यह व्रत पाप का नाश (destroy sin) करने के लिए किया जाता है। यह व्रत अत्यंत प्रभावशाली है। 

फाल्गुन शुक्ल एकादशी (Phalgun Shukla Ekadashi) का व्रत करने वाला व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है, इसलिए इसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष पापमोचनी एकादशी 5 अप्रैल, शुक्रवार को है। धर्म शास्त्रों में इस व्रत को 80 वर्षों तक करने का विधान है। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कल का दिन पहले भी देखा जा सकता है। पापमोचनी एकादशी पर विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है। एकादशी के दिन स्नान करके संकल्प लेना चाहिए और फिर सोलह प्रकार की सामग्रियों से विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए।

व्रत कैसे करें?
यह व्रत दशमी तिथि की रात से शुरू होता है, रात को सोने से पहले एकादशी के व्रत का स्मरण करना चाहिए और फिर अगले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान करें और एकादशी व्रत का संकल्प करें। श्री की पूजा करें। भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, फूल, चंदन चढ़ाना चाहिए। धूप और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद विष्णु स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। पूजा के बाद भागवत कथा का पाठ करना चाहिए। द्वादशी के दिन विष्णु जी की पूजा करके यह व्रत खोलना चाहिए। इस दिन यथाशक्ति दान करके व्रत पूरा किया जाता है।

मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस तप की एकादशी का व्रत करने से पुनर्जन्म का पाप दूर हो जाता है। इस एकादशी का कई महत्व है। इस व्रत से मन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत से मनुष्य की मुक्ति के द्वार खुल जाते हैं।

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा
एक बार देवराज इंद्र गंधर्वों और अप्सराओं के साथ चित्ररथ वन में विहार कर रहे थे। उस वन में च्यवन ऋषि के पुत्र तेजस्वी ऋषि भी तपस्या कर रहे थे। मंजुघोष नामक अप्सरा ने उन पर जादू कर दिया और उनके साथ कई वर्ष बिताए। एक दिन जब मंजुघोष वापस जाने लगे तो तेजस्वी ऋषि को एहसास हुआ कि उनकी तपस्या टूट गई है। उन्होंने अप्सरा को पिशाचिनी बनने का श्राप दे दिया। लेकिन मंजुघोसा के अनुरोध पर, उन्होंने उसे फाल्गुन शुक्ल एकादशी पर एक अनुष्ठान व्रत रखने की सलाह दी, जिससे उसे उसके पापों से मुक्ति मिल जाएगी और वह अपने मूल स्वरूप में वापस आ जाएगी। तेजस्वी ऋषि अपने पिता च्यवन ऋषि के पास आये।

Latest Updates

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups