Sedition Law: लॉ कमीशन ने सरकार को देशद्रोह कानून को लेकर सौंप दी रिपोर्ट, जानें क्या सुझाव दिया?

Source : Hamara Mahanagar Desk - Post By : vidya    Fri, Jun 02, 2023, 10:30



देशद्रोह कानून खत्म होगा या नहीं? 
नई दिल्ली:
भारत के लॉ कमीशन (Law Commission of India) ने राजद्रोह कानून पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार (Central Government) को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजद्रोह से निपटने वाली आईपीसी की धारा 124ए (section 124A of the IPC) को इसके दुरुपयोग से रोकने के लिए कुछ सुरक्षा उपायों के साथ बरकरार रखा जाना चाहिए. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इसमें कुछ संशोधन की जरूरत है ताकि प्रावधान के उपयोग के संबंध में अधिक स्पष्टता लाई जा सके और धारा 124ए के दुरुपयोग संबंधी विचार पर गौर करते हुए रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई कि केंद्र द्वारा दुरुपयोगों पर लगाम लगाते हुए आदर्श दिशानिर्देश जारी करने की जरूरत है.
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Law Minister Arjun Ram Meghwal) को लिखे अपने कवरिंग लेटर में 22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस रितु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने कुछ सुझाव भी दिए हैं. इसमें कहा गया कि आईपीसी की धारा 124ए जैसे प्रावधान की अनुपस्थिति में, सरकार के खिलाफ हिंसा भड़काने वाली किसी भी अभिव्यक्ति पर निश्चित रूप से विशेष कानूनों और आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.  जिसमें अभियुक्तों से निपटने के लिए कहीं अधिक कड़े प्रावधान हैं.
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि ‘आईपीसी की धारा 124ए को केवल इस आधार पर निरस्त करना कि कुछ देशों ने ऐसा किया है ये ठीक नहीं है क्योंकि ऐसा करना भारत में मौजूद जमीनी हकीकत से आंखें मूंद लेने की तरह होगा.’ आयोग ने यह भी कहा कि ‘‘औपनिवेशिक विरासत’’ होने के आधार पर राजद्रोह को निरस्त करना उचित नहीं है. इसे निरस्त करने से देश की अखंड़ता और सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है.
बता दें कि केंद्र सरकार राजद्रोह कानून में संशोधन की तैयारी कर रही है. इसे लेकर संसद के मानसून सत्र में एक प्रस्ताव भी लाया जा सकता है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल मई के महीने में देशद्रोह कानून को स्थगित कर दिया था. तब राज्य सरकारों से कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से इस कानून को लेकर जांच पूरी होने तक इस प्रावधान के तहत सभी लंबित कार्यवाही में जांच जारी न रखें. इसके अलावा धारा 124ए के संबंध में कोई भी प्राथमिकी दर्ज करने या कोई भी कठोर कदम उठाने से परहेज करने का निर्देश दिया.


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