Tax Saver FD: टैक्‍स बचाने और रुपये बढ़ाने  कौन है सही, FD या ELSS? जानें  जानकारी 

Wed, May 31, 2023, 10:32

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नई दिल्‍ली. भारत में आयकरदाताओं को टैक्‍स बचाने (Tax Saving) के लिए निवेश के कई विकल्‍प दिए हैं. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), एनपीएस (NPS), हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के साथ ही टैक्‍स सेवर फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (Tax Saver FD) और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में पैसे लगाकर भी टैक्‍स पेयर आयकर बचा सकते हैं. एफडी भारतीयों का पसंदीदा निवेश विकल्‍प है. 5 साल की टैक्‍स सेवर एफडी कराने पर टैक्‍स छूट मिलती है. इसी तरह ईएलएसएस में किए निवेश पर भी टैक्‍स छूट के रूप में पैसे बचाए जा सकते हैं. लेकिन, ये बात जरूर ध्‍यान में रखें की ये फायदा उन्‍हीं करदाताओं को मिलता है जो पुरानी कर व्‍यवस्‍था अपनाकर इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल करते हैं.
टैक्‍स सलाहकारों का कहना है कि टैक्सपेयर्स को टैक्‍स प्‍लानिंग वित्‍त वर्ष के शुरुआत में ही कर लेनी चाहिए. इससे जहां टैक्‍स सेविंग स्‍कीम्‍स में निवेश करने का ज्‍यादा समय मिल जाता है, वहीं सही योजना चुनने में भी आसानी होती है. टैक्‍स सेविंग के लिए टैक्‍स सेवर एफडी और ईएलएसएस में से किसी एक को चुनने को लेकर, आमतौर पर हर आयकरदाता उलझन में रहता है. इसका कारण है इन दोनों योजनाओं को एक जैसा दिखना. हालांकि, इन दोनों में रिटर्न, लॉक इन पीरियड और जोखिम के स्‍तर पर काफी भिन्‍नताएं हैं.
टैक्‍स सेवर एफडी(tax saver fd)
FD निवेश का एक ट्रेडिशनल विकल्‍प है, जिसे आप किसी भी बैंक में एकमुश्त राशि के रूप में जमा कर सकते हैं. इसमें गारंटीड रिटर्न मिलता है और यह पहले से ही पता होता है कि कितना ब्‍याज मिलेगा. टैक्‍स सेवर एफडी पर संबंधित बैंक ब्याज दर तय करता है. 5 साल की स्‍कीम पर मौजूदा समय में अलग लग बैंक 6.5% से 8% तक ब्‍याज दे रहे हैं. टैक्‍स सेवर FD में 5 साल का लॉक-इन होता है. इसका मतलब है कि आप पांच साल से पहले एफडी से पैसा निकालते हैं तो आपको पेनल्‍टी चुकानी होगी. 5 साल के लॉक इन पीरियड वाली टैक्स सेविंग फिक्स डिपॉजिट (FD) में किए गए 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.
ईएलएसएस(ELSS)
टैक्‍स बचाने के लिए इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग स्‍कीम भी टैक्‍स बचाने का अच्‍छा विकल्‍प है. ELSS एक तरह का म्यूचुअल फंड है, जो मुख्य रूप से इक्विटी या इक्विटी ओरिएंटेड प्रोडक्‍ट्स में निवेश करता है. इसमें रिटर्न बैंक एफडी से ज्‍यादा मिलता है. ईएलएसएस में रिटर्न तय नहीं किया जा सकता है और यह बाजार के जोखिम के अधीन है. कई स्‍कीम ने पिछले 5 साल में 16 फीसदी तक सालाना रिटर्न दिया है. लेकिन, ईएलएसएस में किए निवेश पर हमें मुनाफा ही होगा, इसकी गारंटी नहीं होती है. इसमें 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.
किसमें है ज्‍यादा फायदा(Which has more benefit)?
अगर हम जोखिम की बात करें तो टैक्‍स सेवर एफडी में रिस्‍क न के बराबर है. इसमें लगाए पैसे पर आपको गारंटिड रिटर्न मिलेगा. वहीं, यह सुविधा ईएलएसएस में नहीं है. इसमें लगाए पैसे पर आपको एफडी से ज्‍यादा भी रिटर्न मिल सकता है और नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. लिक्विडिटी की बात करें तो ईएलएसएस में से आप जल्‍द पैसा बिना किसी पेनल्‍टी के निकाले सकते हैं. वहीं, टैक्‍स सेवर एफडी में पैसा पांच साल के लिए लॉक हो जाता है. मैच्‍योरिटी से पहले पैसे निकालने पर पेनल्‍टी देनी होती है. इसलिए इनमें से कोई भी स्‍कीम चुनते वक्‍त इन बातों का ध्‍यान जरूर रखना चाहिए और‍ फिर ही कोई निर्णय लेना चाहिए.

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