बावनकुले के बयान से भाजपा -शिंदे का रिस्ता होगा फीका
मुंबई। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले (Chandrashekhar Bawankule) के एक बयान पर राज्य की सियासत गर्म हो गई है.वही सहयोगी सत्ताधारी शिवसेना भी नाराज हो गई है. हाल ही में हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ताओं और पैनलिस्टों की बैठक में बावनकुले ने कहा कि आगामी विधानसभा की चुनाव में भाजपा 240 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.जबकि सहयोगी दल शिवसेना को सिर्फ 48 सीट दिया जाएगा। इतना ही नहीं भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी के पदाधिकारियों से चुनाव की तैयारी में लग जाने का निर्देश देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ 50 विधायक ही है.इससे ज्यादा सीट उन्हें नहीं चाहिए।बावनकुले के इस बयान की जहाँ राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा है,वही यह बयान शिवसेना-भाजपा के बीच दरार में घी डालने का काम कर सकती है. महाराष्ट्र में साल 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां सभी राजनीतिक दल ने शुरू कर दिया है इस बीच भाजपा अध्यक्ष ने भाजपा 240 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह बयान देकर सहयोगी दल को नाराज कर पार्टी के लिए नई मुसीबत खड़ा कर दिया है.
बावनकुले के बयान में कोई दम नहीं - शिरसाट
चंद्रशेखर बावनकुले के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना विधायक संजय शिरसाट (Sanjay Shirsat) ने कहा की बावनकुले में कोई दम नहीं है. उनके इस बयान से भाजपा -शिवसेना के गठबंधन पर कोई असर नहीं गिरेगा। बावनकुले पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देने के लिए उन्हें कौन अधिकार दिया है.बावनकुले को पता होना चाहिए कि ऐसा बयान देने से गठबंधन को शर्मिंदगी होती है.हम मूर्ख हैं नहीं है जो केवल 48 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।चुनाव के दौरान वरिष्ठ स्तर पर बैठक होगी और वहां निर्णय लिया जाएगा। बावनकुले यह बयान उन्होंने अति उत्साही तरीके से दिया है.वे सोचते हैं कि चूंकि मैं पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष हूं इसलिए मेरे नेतृत्व में और सीटें आनी चाहिए.
बावनकुले के बयान पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने अपना पल्ला झाड़ लिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना के बीच 2024 विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई फॉर्मूला तय नहीं हुआ है। साथ ही इस बारे में मेरे पास भी कोई जानकारी नहीं आई है। इसलिए मुझे नहीं पता कि बावनकुले ने क्या कहा। लेकिन आने वाले चुनावों के मुताबिक दोनों पार्टियों की कोर कमेटी की बैठक में सीट बंटवारे पर चर्चा होगी।
पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बावनकुले ने विश्वास जताया की पार्टी अगर 240 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो 150-170 सीट पार्टी जीत सकती है. हैरानी की बात तो यह रही कि जब बावनकुले के बयान की जानकारी मीडिया के हाथों लगी तो ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उनके भाषण का वीडियो को हटा दिया गया. ऐसे में कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर बवनकुले का सीएम शिंदे को लेकर यह बयान देना शिवसेना और बीजेपी के गठजोड़ को नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि बवनकुले के इस बयान पर शिवसेना की तरफ से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है.
ये है बीजेपी का चुनावी गणित!
बता दें कि अपने संबोधन के दौरान बवनकुले ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों का विश्लेषण करते हुए कार्यकर्ताओं को तैयारियों में जुटने के निर्देश दिए. उन्होंने सीटों की गणित समझाते हुए कहा कि वर्तमान में विधानसभा में बीजेपी के 105 सदस्य हैं जिनके पास 8 निर्दलीयों का भी समर्थन है. वहीं राज्य के 60 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें कभी पार्टी को हार मिली तो कभी जीत. बवनकुले ने बताया कि बीजेपी के पास 43 फीसदी वोट हैं और अब हमें 51 फीसदी वोट हासिल करने की जरूरत है.
चुनाव में शिवसेना को आ सकती है दिक्कत
पिछली विधानसभा में भाजपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था अब केंद्र में आठ साल से भाजपा की सरकार है। तो अब जाहिर तौर पर भाजपा बिग ब्रदर के तौर 240 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो शिंदे गुट के पास अब 40 विधायक हैं.उन्हें सिर्फ आठ अतिरिक्त सीटें मिलेंगी। उनकी पार्टी में कई नए कार्यकर्ता आ रहे हैं। अगर सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो गया तो इन नए कार्यकर्ताओं न्याय कैसे मिलेगा इसमें कौन सी सीटें मिलेगी यह सीट बंटवारे तय होगा बावनकुले जैसे अनुभवी नेता ने ऐसा बयान दिया और सरकार में दोनों पार्टियों के बीच बेचैनी पैदा कर दी.है?
लोकसभा चुनाव में शिवसेना -भाजपा पहली परीक्षा
भाजपा और शिवसेना के पहले गठबंधन की असली परीक्षा अगले साल लोकसभा के होने वाले चुनाव में होगी । महाराष्ट्र की 48 सीटें भाजपा के लिए काफी अहम हैं. बिहार में मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए भाजपा को वहां संघर्ष करना होगा. तो पिछली कुछ सीटों का नुकसान होगा। जनता दल-राजद और कांग्रेस का समीकरण सामाजिक रूप से मजबूत है। ऐसे समय में भाजपा के लिए महाराष्ट्र में लोकसभा में शिंदे गुट को अधिक से अधिक सीटें जीतना जरूरी है. सहयोगियों के बीच सामंजस्य बनाए रखने के लिए उन्हें आहत करने से बचना चाहिए। इसलिए अगर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसा बयान दिया भी जाए तो गठबंधन के लिए खतरा है.
Source : Hamara Mahanagar Desk - Post By : Rekha Joshi Sat, Mar 18, 2023, 08:16