परीक्षा पर चर्चा : PM ने प्रेशर टालने का दिया मंत्र

Fri, Jan 27, 2023, 12:54

Source : Hamara Mahanagar Desk


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को दिल्ली के (तालकटोरा स्टेडियम) में स्टूडेंट्स से 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में बातचीत की। करीब दो घंटे से चले रहे इस कार्यक्रम में मोदी ने परीक्षा और जीवन में तनाव पर बच्चों के सवालों के जबाव दिए। एग्जाम में परिवार की निराशा से कैसे निपटूं पर छात्रों को टिप्स दी।
पीएम ने घर में मां के मैंनेजमेंट, क्रिकेट की गुगली, पतंग का मांझा, पार्लियामेंट में सांसदों की नोकझोक जैसे उदाहरण देकर बच्चों को समझाया। जब एक छात्र ने एग्जाम में दबाव पर एक सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'परिवार के दबाव से दबाव में ना आएं। उन्होंने कहा कि कभी क्रिकेट देखने गए होंगे, तो कुछ बैट्समैन आते हैं तो पूरा स्टेडियम चिल्लाना शुरू करता है- चौका-चौका, छक्का-छक्का। क्या वो ऑडियंस की डिमांड के ऊपर चौके-छक्के लगाता है क्या। चिल्लाते रहें, बैट्समैन का ध्यान बॉल पर ही होता है। बॉलर के माइंड को स्टडी करने की कोशिश करता है। जैसी बॉल है वैसा ही खेलता है। फोकस रहता है।' परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का यह छठा संस्करण है। इस प्रोग्राम के लिए 20 लाख से अधिक प्रश्न प्राप्त हुए।

पटना से प्रियंका कुमारी, मदुरई से अश्विनी, दिल्ली से नवतेज- अगर नतीजे अच्छे न हों तो परिवार की निराशा से कैसे निपटूं? आजकल छात्र हाथ काट ले रहे हैं, वो अपनी भावनाओं को लेकर दूसरों पर भरोसा नहीं करते हैं?
PM मोदी- '
अश्विनी आप क्रिकेट खेलती हैं। क्रिकेट में गुगली होती है। निशाना एक होता है, दिशा दूसरी होती है। लगता है कि आप पहली बार में मुझे आउट करना चाहती हो। अगर परिवार के लोगों की अपेक्षाएं हैं तो ये स्वाभाविक है। इसमें कुछ गलत भी नहीं है, लेकिन अगर परिवार के लोग अपेक्षाएं सोशल स्टेटस के कारण कर रहे हैं तो वो चिंता का विषय है। उनका सोशल स्टेटस का इतना दबाव है कि उन्हें लगता है कि बच्चों के लिए सोसाइटी में क्या बताएंगे। बच्चे कमजोर हैं तो कैसे चर्चा करेंगे। मां-बाप आपकी क्षमता जानने के बावजूद सोशल स्टेटस के कारण क्लब-सोसाइटी में जाते हैं तो बच्चों की बातें करते हैं। उन्हें कॉम्प्लेक्स आता है। बड़ी-बड़ी बातें बताते हैं अपने बच्चों के बारे में। घर में आकर वही अपेक्षा करते हैं। समाज जीवन में यह सहज हो गया है।'
'आप अच्छा करेंगे तो भी हर कोई आपसे नई अपेक्षा करेगा। हम तो राजनीति में हैं। कितने ही चुनाव क्यों न जीत लें, ऐसा दबाव पैदा किया जाता है कि हमें हारना ही नहीं है। 200 लाए हैं तो ढाई सौ क्यों नहीं लाए, ढाई सौ लाए तो तीन सौ क्यों नहीं लाए। चारों तरफ से दबाव बनता है। हमें इन दबावों से दबना चाहिए क्या? आपको जो कहा जाता है, उसी में आप अपना समय बर्बाद कर देंगे गया अपने भीतर अपनी क्षमता, इरादे और सपने देखेंगे। कभी क्रिकेट देखने गए होंगे, तो कुछ बैट्समैन आते हैं और पूरा स्टेडियम चिल्लाना शुरू करता है- चौका-चौका, छक्का-छक्का, क्या वो ऑडियंस की डिमांड के ऊपर चौके-छक्के लगाता है क्या। चिल्लाते रहें, बैट्समैन का ध्यान बॉल पर ही होता है। बॉलर के माइंड को स्टडी करने की कोशिश करता है। जैसी बॉल है वैसा ही खेलता है। फोकस रहता है। आप भी फोकस रहोगे तो दबाव को आप झेल लेंगे। संकट से बाहर आ जाएंगे। दबावों के दबाव में ना रहें, दबाव को एनालिसिस करिए। स्वयं को अंडरएस्टीमेट तो नहीं कर रहे हैं, ये सोचिए। बच्चों को अपनी क्षमता से खुद को कम नहीं आंकना चाहिए। पक्का विश्वास है कि ऐसी समस्याओं को आराम से सुलझा लेंगे।'

चंबा से आरुषि ठाकुर, रायपुर से अदिति - परीक्षा के दौरान सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात है कि पढ़ाई कहां से शुरू करूं। हमेशा लगता है सब कुछ भूल गई हूं, ये काफी तनाव देता है?PM मोदी- 'सिर्फ परीक्षा नहीं, जीवन में भी टाइम मैनेजमेंट के लिए जागरूक रहना चाहिए। काम में देर इसलिए होती है, क्योंकि वक्त पर वो किया नहीं जाता। काम करने की कभी थकान नहीं होती। उससे संतोष होता है। काम ना करने से थकान लगती है। सामने दिखता है कि इतना सारा काम है। आप कभी कागज पर पेन-पेंसिल लेकर डायरी पर लिखिए। हफ्ते भर नोट कीजिए कि आप अपना समय कहां बिताते हैं। पढ़ाई करते हैं तो कितना समय किस विषय को देते हैं। शॉर्टकट ढूंढते हैं, कि बेसिक में जाते हैं। आपको पता चलेगा कि पसंद की चीजों में सबसे ज्यादा समय लगाते हैं। उसी में खोए रहते हैं। जरूरी विषय बोझ लगते हैं। आप सिर्फ पढ़ना है, पढ़ने में भी जब फ्रेश माइंड है, तब सबसे कम पसंद और कठिन विषयों को देखिए। फिर पसंद वाला, फिर थोड़ा कम पसंद वाला विषय। ऐसे आपको रिलैक्सेशन मिलेगा और तैयारी भी होगी।'
'मुझे पतंग का बहुत शौक था। पतंग का जो मांझा होता है, उलझकर गुच्छा बन जाता है। धीरे-धीरे एक-एक तार को पकड़कर उसे सुलझाना होता है। धीरे-धीरे इतना बड़ा गुच्छा भी आराम से खुल जाएगा। हमें भी जोर-जबरदस्ती नहीं करनी है। समाधान आराम से निकालना है। अगर ऐसा करेंगे तो ये हो जाएगा। कभी घर में मां को काम करते देखा है क्या। अच्छा लगता है कि स्कूल जाना है, स्कूल से आना है..मां सब रेडी करके रखती है। मां का टाइम मैनेजमेंट कितना बढ़िया है। सबसे ज्यादा काम मां ही करती रहती है। किसी काम में उसे बोझ नहीं लगता। उसे मालूम है कि मुझे इतने घंटे में ये काम करना ही है। एक्स्ट्रा टाइम में भी वो कुछ ना कुछ क्रिएटिव करती रहेगी। अगर मां को ढंग से ऑब्जर्व करेंगे तो आपको छात्र के तौर पर टाइम मैनेजमेंट कर लेंगे। माइक्रो मैनेजमेंट करना होगा।'

बस्तर से रूपेश, जगन्नाथपुरी से तन्मय- परीक्षा में नकल से कैसे बचें?
PM मोदी
- 'मुझे खुशी हुई कि हमारे विद्यार्थियों को भी यह लग रहा है कि परीक्षा में जो गलत होता है, उसका रास्ता खोजना चाहिए। मेहनती विद्यार्थियों को इसकी चिंता रहती है कि मैं इतनी मेहनत करता हूं और ये चोरी करके नकल करके गाड़ी चला लेता है। पहले भी चोरी करते होंगे लोग, लेकिन छिपकर। अब गर्व से करते हैं कि सुपरवाइजर को बुद्धू बना दिया। ये जो मूल्यों में बदलाव आया है, वो बहुत खतरनाक है। ये हम सबको सोचना होगा। कुछ लोग या टीचर्स जो ट्यूशन चलाते हैं, उन्हें भी लगता है कि मेरा स्टूडेंट अच्छी तरह निकल जाए। वो ही नकल के लिए गाइड करते हैं। ऐसे टीचर होते हैं ना? कुछ छात्र पढ़ने में तो टाइम नहीं निकालते हैं, नकल के तरीके ढूंढने में क्रिएटिव होते हैं। उसमें घंटे लगा देंगे। छोटे-छोटे अक्षरों की कॉपी बनाएंगे। इसकी बजाय उतना ही समय क्रिएटिविटी को सीखने में लगा दें ना तो शायद अच्छा कर जाएं।'

मोदी के स्पीच की बाकी बड़ी बातें
ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखें: कम्‍यूनिकेशन एक बहुत बड़ी शक्ति है। जैसे हम सोचते हैं प्‍यानो या तबला सीखूं, तो ऐसे ही अपने पड़ोस के किसी राज्‍य की भाषा भी सीखनी चाहिए।
तनाव से बचने के लिए सामर्थ्‍य पर ध्यान दें: 
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम अपने सामर्थ्‍य पर ध्‍यान देते हैं, तो तनाव नहीं होता।
गैजेट्स का गुलाम न बनें: सबसे पहले तो ये निर्णय करना है कि आप स्मार्ट हैं या फिर गैजेट्स स्मार्ट है। कभी-कभी लगता है कि आप अपने से ज्यादा गैजेट्स को स्मार्ट मानते हैं। यकीन करिए परमात्मा ने अपने बहुत सी शक्तियां दी हैं। गैजेट्स को केवल आगे बढ़ने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
अपने लक्ष्‍य पर फोकस रखें: विपक्ष के लोग साइकोलॉजी जानते हैं, इसलिए जानबूझकर ऐसी बात छेड़ देते हैं कि हम अपना विषय छोड़कर उसका जवाब देने में लग जाते हैं। हमें बस अपने लक्ष्‍य पर फोकस रखना चाहिए। आलोचना बहुत मुश्किल काम है।ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं। दोनो में बहुत फर्क है। हम आरोपों पर ध्‍यान न दें मगर आलोचना को अपने लिए जरूरी समझें।

Latest Updates

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups