राष्ट्रपति का देश के नाम संबोधन

Wed, Jan 25, 2023, 07:27

Source : Hamara Mahanagar Desk

'विभिन्न पंथों-भाषाओं ने बांटने नहीं जोड़ने का काम किया'
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने 74वें गणतंत्र दिवस (74th Republic Day) की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रपति मुर्मू ने सभी देश वासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई दीं। उन्होंने कहा कि जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं।
विभिन्न पंथों-भाषाओं ने बांटने नहीं, जोड़ने का काम किया: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हम सब एक ही हैं, और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और इतनी सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है बल्कि हमें जोड़ा है। इसलिए हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यही भारत का सार-तत्व है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी।
पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यह उपलब्धि, आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई है। सक्षम नेतृत्व (competent leadership) और प्रभावी संघर्षशीलता (effective coping) के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए, और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया।

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