प्रभु श्री कृष्ण का प्रिय मास है खरमास

Wed, Dec 15 , 2021, 05:56 AM

Source :

खरमास को काफी लोग मलमास भी कहते हैं जिसका अभिप्राय अच्छा नहीं होता, या यूँ कहें कि इस माह को शुभ नहीं माना जाता। लोकाचार के अनुसार इस माह को भले ही शुभ न माना जाता हो किंतु ज्योतिषीय गणना अनुसार इस माह की बहुत महत्ता है। ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार इस माह का कोई नहीं था अत: इसे प्रभु श्री कृष्ण ने अपने चरणों में स्थान दिया और यह माह प्रभु श्रीकृष्ण का प्रिय माह बन गया। यही वजह है कि तब से इसे इसे मलमास की जगह पुरुषोत्तम माह कहा जाने लगा। मान्यता है कि जिस गोलोक को पाने के लिए ऋषि मुनि युगों तक तप करते हैं उस धाम की प्राप्ति इस माह में ब्रम्हमुहूर्त में स्नान करने से ही प्राप्त हो जाती है। इस वर्ष यह माह १५ दिसंबर २०२१ से १४ जनवरी २०२२ तक रहेगा। मान्यता है कि खरमास के दिनों में सूर्यदेव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इसके चलते बृहस्पति ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है. गुरु शुभ कार्यों के कारक ग्रह हैं और लड़कियों की शादी के कारक गुरु माने जाते हैं। अत: गुरु कमजोर रहने से शादी में देर होती है। साथ ही रोजगार और कारोबार में भी बाधा आती है। इसके चलते खरमास के दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते।

ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री का कहना है कि खरमास में इन नियमों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, जो इस प्रकार हैं:

 खरमास का महीना दान और पुण्य महीना होता है। मान्यता है कि इस माह में बिना किसी स्वार्थ के किए गए दान का अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए खरमास के महीने में जितना संभव हो, जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। 

 ये महीना भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा का माह होता है। ऐसे में आप नियमित रूप से गीता का पाठ करें। विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें और श्रीकृष्ण और विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करें। 

 खरमास में तुलसी की पूजा करना से लाभ मिलता है। शाम के समय में तुलसी के पेड़ के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन की परेशानियां कम होती है। 

 खरमास के दौरान रोजाना सुबह सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए और सूर्य को जल देना चाहिए। मान्यता है कि इस दौरान सूर्य देव कमजोर होते हैं। ऐसे में उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है। 

 खरमास के महीने में गौ सेवा का विशेष महत्व है। इस दौरान गायों का पूजन करें। उन्हें हल्दी का तिलक लगाकर गुड़-चना खिलाएं। हरा चारा खिलाएं। इससे श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

खरमास में जहाँ उपरोक्त बातें निश्चित तौर पर जरूरी हैं वहीँ यह बातें वर्जित हैं: जैसे खरमास के महीने में विवाह, जनेऊ, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य। खरमास खत्म होने के बाद आप शुभ मुहूर्त देखकर मांगलिक कार्य कर सकते हैं। मान्यता है कि खरमास के महीने में मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इनका सेवन करने से जिंदगी में परेशानियां आने लगती हैं। खरमास के महीने में नया कार्य ना शुरू करें। ऐसा करना आपकी आर्थिक स्थिती को मुश्किलों में डाल सकता है। खरमास के महीने में बच्चें का मुंडन जैसे शुभ कार्य को भी ना करवाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे के भविष्य में भी इससे खतरा हो सकता है।

आइए ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री से जानते हैं खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा:

मार्कंडेय पुराण में खर मास के संदर्भ में एक कथा का उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार, एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े। लेकिन इस दौरान उन्हें कहीं पर भी रुकने की इजाजत नहीं थी। इस दौरान यदि वह कहीं रुक जाते, तो पूरा जन-जीवन ठहर जाता। लेकिन इन्हीं बंदिशों के बीच उन्होंने परिक्रमा शुरू की। पर लगातार चलते रहने के कारण उनके रथ में जुते सातों घोड़े थक गए। घोड़ों को प्यास भी लगने लगी।

घोड़ों की दयनीय दशा को देखकर सूर्य देव को उनकी चिंता हो आई। ऐसे में घोड़ों को आराम देने के लिए वह एक तालाब के किनारे चले गए, ताकि रथ में बंधे घोड़ों को पानी पीने को मिल सके और थोड़ा आराम भी। लेकिन तभी उन्हें यह आभास हुआ कि अगर रथ रुका, तो अनर्थ हो जाएगा, क्योंकि रथ के रुकते ही सारा जन-जीवन भी ठहर जाता। उस तालाब के किनारे दो खर यानी गर्दभ खड़े मिले, जैसे ही सूर्य देव की नजर उन दो खरों पर पड़ी, उन्होंने अपने घोड़ों को विश्राम देने के उद्देश्य से वहीं तालाब किनारे छोड़ दिया और घोड़ों की जगह पर खर यानी गर्दभों को अपने रथ में जोड़ दिया, ताकि रथ चलता रहे। लेकिन इसके चलते रथ की गति काफी धीमी हो गई। फिर भी जैसे-तैसे किसी तरह एक मास का चक्र पूरा हुआ। उधर सूर्य देव के घोड़े भी विश्राम के बाद ऊर्जावान हो चुके थे और पुन: रथ में लग गए। इस तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है और हर सौर वर्ष में एक सौर मास ‘खर मास’ कहलाता है। 

चीजों का दान करना शुभ होता है
प्रतिपदा अर्थात प्रथम तिथि घी से भरा चांदी का पात्र दान करने से मानसिक शांति मिलती है। 
द्वितीया के दिन कांसे के पात्र में सोना रखकर दान करने से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहती।
तृतीया तिथि के दिन चने का दान करने से जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
चतुर्थी तिथि के दिन छुहारा का दान करने से लाभ प्राप्त होता है।
पंचमी तिथि के दिन को गुड़ का दान करने से चारों तरफ से मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
षष्ठी तिथि के दिन औषधि का दान करने से रोग, विकार दूर होते हैं।
सप्तमी तिथि के दिन लाल चंदन के दान से बल मिलता है और बुद्धि बढ़ती है।
अष्टमी तिथि के दिन रक्त चंदन का दान करने से पराक्रम बढ़ता है।
नवमी तिथि के दिन केसर का दान करने से भाग्योदय होता है।
दशमी तिथि के दिन कस्तूरी का दान करने से मनोकामनाओं की पूर्ति 
होती है।
एकादशी तिथि के दिन गोरोचन के दान से बुद्धि बढ़ती है। 
द्वादशी तिथि के दिन शंख का दान करने से धन में वृद्धि होती है तथा धन लाभ मिलता है।
त्रयोदशी तिथि के दिन किसी मंदिर में घंटी का दान करने से पारिवारिक सुख मिलता है।
चतुर्दशी तिथि के दिन सफेद मोती दान करने से मनोविकार दूर होते हैं। 
पूर्णिमा तिथि के दिन रत्न का दान करने से अपार धन की प्राप्ति होती है।
अमावस्या तिथि के दिन आटा दान अवश्य करना चाहिए, इससे सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
जो मनुष्य के खरमास के दिनों में तथा इसके अलावा भी उपरोक्त तिथियों पर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट  नष्ट् होते हैं तथा वह सुखमय जीवन व्यतीत करता है।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups