शिवसैनिक मशाल लेकर पहुंचे मातोश्री
मुंबई। केंद्रीय चुनाव आयोग ने अंधेरी पूर्व उपचुनाव के लिए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट को नया चुनाव चिन्ह मशाल (torch) दिया है। नया चुनाव चिन्ह मिलने पर शिवसैनिक मशाल लेकर पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री पहुंचे। ठाकरे ने शिवसैनिकों से कहा कि यह मशाल अन्याय और गद्दारी को जला देगी। इसके तेज और महत्व को याद रखें।
शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत गुट के कार्यकर्ताओं ने जलती हुई मशाल लेकर मंगलवार को मुंबई में पार्टी संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के स्मारक तक मार्च किया। एक दिन पहले निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के ठाकरे गुट को मशाल चुनाव चिन्ह आवंटित किया। पार्टी कार्यकर्ता अपने हाथों में जलती हुई मशाल लेकर बांद्रा में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास मातोश्री गए। ठाकरे ने कहा कि आप सभी के यहां आने पर धन्यवाद देता हूं। मशाल के महत्व, तेज और खतरे पर ध्यान दीजिए। मशाल हाथ में लेकर उत्साह में कोई गलती न होने दें। यह अन्याय और गद्दारी जलाने वाली मशाल है। चुनाव आयोग ने पिछले 8 अक्टूबर को शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सोमवार को चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना का नाम शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे और चुनाव चिन्ह ज्वलंत मशाल दिया। वहीं एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट की शिवसेना का नाम बाला साहेब की शिवसेना और चुनाव चिन्ह ढाल-तलवार दिया गया।
मशाल और शिवसेना का पुराना नाता
शिवसेना का मशाल चिन्ह से पुराना नाता है। शिवसेना के साथ 1985 में रहे छगन भुजबल ने मुंबई की मझगांव सीट पर हुए चुनाव में मशाल चुनाव चिन्ह के साथ जीत हासिल की थी। उस समय पार्टी का कोई स्थायी चुनाव चिह्न नहीं था। भुजबल ने बाद में बगावत कर दी और पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। अब वे राकांपा के एक प्रमुख नेता है। शिवसेना ने अतीत में नगर निकाय और विधानसभा चुनावों के दौरान भी मशाल चुनाव चिह्न का इस्तेमाल किया था। शिवसेना का गठन बाल ठाकरे ने 1966 में किया था और इसे धनुष-बाण चिह्न हासिल करने में 23 वर्षों का समय लगा था। छगन भुजबल का कहना है कि ज्वलंत मशाल के प्रतीक पर शिवसेना की जीत की यात्रा हर जगह शुरू हुई। मुझे यकीन है कि उद्धव ठाकरे के लिए यह दोहराया जाएगा और ज्वलंत मशाल प्रतीक शिवसेना को महाराष्ट्र की राजनीति में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
ये मशाल जलने वाली नहीं: बावनकुले
शिवसेना ठाकरे गुट को मशाल चुनाव चिन्ह मिलने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले (Chandrashekhar Bawankule) ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के लिए हिंदुत्व का विचार छोड़ दिया और कांग्रेस-एनसीपी के विचार स्वीकार कर लिए। लोगों ने देखा है कि उनका हिंदुत्व बनावटी है। उन्होंने मशाल ली है, लेकिन हकीकत में इसे "पंजा" ने पकड़ा है। राज्य में पंजा की मशाल कोई स्वीकार नहीं करेगा और ये मशाल जलने वाली है। भंडारा में पत्रकारों से बातचीत में बावनकुले ने कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना केवल कांग्रेस और एनसीपी के आश्रय की वजह से जीवित है।हिंदुत्व को त्यागने और कांग्रेस और राकांपा के विचार को स्वीकार करने वाले नेतृत्व ने अगर मशाल या कोई अन्य प्रतीक लिया, तो भी उन्हें राजनीतिक रूप से कोई फायदा नहीं होगा। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद पाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के विचार को स्वीकार कर लिया और अपनी पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया।



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Tue, Oct 11 , 2022, 06:49 AM