जयपुर, 28 मई (हि.स.)। राजस्थान में चार राज्यसभा सीटों (Rajya Sabha seats) पर होने वाले चुनाव के लिए बिसात बिछ चुकी है। ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस विधायकों (Congress MLAs)की बाड़ेबंदी तय है। बाड़ेबंदी इसलिए क्योंकि अगर भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए दो उम्मीदवार उतार दिए तो संख्या बल को बनाए रखने के लिए चुनौती से पार पाना होगा। कांग्रेस को बाड़ेबंदी करनी पड़ सकती है।
संख्या बल के लिहाज से देखा जाए तो वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 108 सदस्य हैं, शेष 13 निर्दलीयों, 2 बीटीपी और माकपा के 2 विधायकों को साथ रखने के लिए कांग्रेस को उन्हें साधे रखना होगा। राष्ट्रीय लोकदल के एकमात्र विधायक पहले से सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में उनके वोट की चिंता कांग्रेस को नहीं है। राज्यसभा की तीन सीटें पक्की करने के लिए कांग्रेस को बीटीपी, माकपा और निर्दलीय विधायकों की आवभगत करनी पड़ेगी। राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) की प्रक्रिया 24 मई से शुरू हो चुकी है और 10 जून को मतदान होना है। अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही अपनी तरफ से उम्मीदवारों का चुनाव नहीं कर पाए हैं। फिलहाल किसी भी उम्मीदवार ने पर्चा दाखिल नहीं किया गया है।
मुख्य निवार्चन अधिकारी प्रवीण गुप्ता के मुताबिक 31 मई तक नामांकन पत्र लिए जाएंगे। 28 मई और 29 मई को अवकाश के दिन नामांकन प्रक्रिया नहीं होगी। एक जून 2022 को नामांकन पत्रों की जांच होगी। अभ्यर्थी 3 जून तक नाम वापस ले सकेंगे। जरूरी होने पर मतदान 10 जून को 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगा। मतगणना इसी दिन शाम 5 बजे से होगी।
बीते कुछ सालों से राजस्थान की राजनीति का ट्रेंड बन चुका है कि राज्यसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी दल के विधायक अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं और मांगों को मनवाने की कोशिश करते हैं। हाल ही में विधायक गणेश घोघरा की नाराजगी के बाद एक सीट आदिवासी (Aboriginal) के नाम पर दिए जाने की मांग ने भी जोर पकड़ा है। बुधवार को ही मंत्री महेंद्रजीत मालवीय पीसीसी पर जनसुनवाई को छोड़कर दिल्ली में आलाकमान से मिलकर प्रदेश नेतृत्व के समीकरण समझाने के लिए पहुंचे। दूसरी तरफ जातिगत धड़ों की मांग ने भी जोर पकड़ लिया और दिल्ली दरबार में अजय माकन और केसी वेणुगोपाल के पास अपना-अपना मत जाहिर करने के लिए नेताओं ने लॉबिंग तेज कर दी।
राजस्थान में फिलहाल अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की सरकार है और कांग्रेस सत्ता में है। ऐसे में कांग्रेस के साथ साथ समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक और अन्य दल भी वोटिंग से पहले अपनी मांगों को मुखर होकर रखने में मशगूल हैं। माना जा रहा है कि भाजपा दो उम्मीदवारों के साथ मैदान में होगी। ऐसे में कांग्रेस के लिए चुनौती होगी और वह फिर से सियासी बाड़ेबंदी की राह को चुन सकती है।
राजस्थान में चार सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें सब ठीक ठाक होने की हालत में संख्याबल के हिसाब से कांग्रेस तीन सीट जीत सकती है, वहीं भाजपा के खाते में एक सीट जाना तय दिख रहा है। चौथी सीट पर भाजपा की तरफ से आने वाले उम्मीदवार के कारण मुकाबला रोचक होता दिख रहा है।
राजस्थान में कांग्रेस के 108, भाजपा के 71 विधायक, निर्दलीय 13, आरएलपी के 3, बीटीपी के 2, माकपा 2 और आरएलडी का एक विधायक है। इस लिहाज कांग्रेस के पास 126 विधायकों का गणित है, वहीं भाजपा के पास 74 विधायक हैं। कांग्रेस 3 उम्मीदवार खड़े करती है तो 41-41-41 यानी पहली वरीयता के 123 वोट चाहिए। बीजेपी यदि 2 उम्मीदवार खड़े करेगी तो पहली वरीयता के 41-41 के हिसाब से 82 वोट होने चाहिए। ऐसे में 1 सीट के लिए मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है। भाजपा को कांग्रेस खेमे के 8 वोट तोड़ने होंगे। 74 विधायकों के बाद भाजपा को दूसरा उम्मीदवार जीताने के लिए केवल 8 वोटों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में भाजपा सेंध मारने की पूरी कोशिश करेगी।
राज्यसभा में राजस्थान के राज्यसभा सदस्यों की कुल 10 सीटें हैं। इन 10 में से 7 सदस्य भाजपा के हैं, जबकि कांग्रेस के केवल 3 सदस्य हैं। बीजेपी से ओम प्रकाश माथुर, केजे अल्फॉस, रामकुमार वर्मा, हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर, डॉ. किरोड़ीलाल मीणा, भूपेन्द्र यादव और राजेन्द्र गहलोत राज्यसभा सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस से डॉ. मनमोहन सिंह, केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी राज्यसभा सदस्य हैं। भाजपा के ओम प्रकाश माथुर, केजे अल्फोंस, रामकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर का कार्यकाल 4 जुलाई को पूरा होने जा रहा है। इससे पहले 10 जून को नए राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव होने हैं। इन चुनावों में 4 में से 3 सीटें कांग्रेस के प्रत्याशियों की ओर से जीतने के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 3 से बढ़कर सीधे 6 हो जाएगी, जबकि बीजेपी सदस्यों की संख्या घटकर 4 रह जाएगी।
2020 में राजस्थान से तीन राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव हुआ था। संख्या बल के हिसाब से दो सदस्य कांग्रेस के और एक सदस्य भाजपा का जीतना तय था, लेकिन भाजपा ने दो उम्मीदवार मैदान में उतार कर मुकाबला किया था। कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) और नीरज डांगी को उम्मीदवार बनाया, जबकि भाजपा ने राजेन्द्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को मैदान में उतारा। हालांकि भाजपा सेंध लगाने में कामयाब नहीं हुई। वेणुगोपाल और डांगी के साथ बीजेपी के राजेंद्र गहलोत को भी जीत मिली थी। कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी के साथ भाजपा के राजेन्द्र गहलोत ने जीत हासिल की थी। ओंकार सिंह लखावत को हार का सामना करना पड़ा।



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Sat, May 28 , 2022, 11:43 AM