उदयपुर, 15 मई (हि.स.)। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) और पायलट समर्थक प्रमोद कृष्णम के बयानों के एक घंटे बाद सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने मीडिया सेंटर में आकर विक्ट्री साइन दिखाया। उन्होंने इशारों ही इशारों में साफ कर दिया कि फिलहाल वह टेंशन फ्री हैं। इसे पायलट और गहलोत के बीच कोल्ड वॉर की शुरुआत (start of cold war) माना जा रहा है।
इसकी शुरुआत कांग्रेस में युवाओं को भूमिका देने और पदों पर बैठे नेताओं के पार्टी के लिए त्याग करने के सुझावों से हुई है। चिंतन शिविर के बीच गहलोत का हावभाव चर्चा का विषय बन रहा। पायलट ने पहले दिन ही चिंतन शिविर के मीडिया सेंटर के बाहर बयान दिया कि युवाओं को बड़ी भूमिका दी जाएगी। पायलट समर्थक प्रमोद कृष्णम ने पायलट के साथ नाइंसाफी होने की बात दोहराते हुए कहा कि हाईकमान अब इंसाफ करेगा।
गहलोत अपने समर्थक राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ चिंतन शिविर के मीडिया सेंटर पहुंचे। देश-प्रदेश के सैकड़ों मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में गहलोत ने काफी देर तक विक्ट्री साइन दिखाया। कई बार विक्ट्री साइन बनाते हुए फोटो भी खिंचवाए। इसके बाद गहलोत ने मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्र पर हमला बोला। गहलोत ने मंच पर जाकर मीडिया सेंटर (media center) में भीड़ के नजारे का वीडियो बनाया। गहलोत के हावभाव से साफ दिख रहा था कि वे काफी रिलैक्स फील कर रहे हैं। किसी भी तरह के प्रेशर से वह मुक्त नजर आए।
गहलोत ने टेंशन फ्री होने का मैसेज संकेत में दिया। इसके सियासी मायने भी हैं। जानकारों के मुताबिक गहलोत ने चिंतन शिविर के बाद सीएम स्तर पर बदलाव की संभावनाओं को नकारने का मैसेज दिया है। इसे पायलट समर्थकों को सीधा जवाब माना जा रहा है। गहलोत ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं पर कहा था कि मैं 22 साल पहले जब पहली बार सीएम बना था तब से मेरा इस्तीफा सोनिया गांधी के पास पड़ा है। सोनिया गांधी जब चाहें, तब मेरा इस्तीफा इस्तेमाल कर सकती हैं। मुख्यमंत्री (Chief Minister) जब बदलेगा तो किसी को कानों कान भनक नहीं लगेगी। सुबह अखबार से ही पता लगेगा कि मुख्यमंत्री बदल गया। इस बयान के बाद चिंतन शिविर शुरू हो गया।
चिंतन शिविर में सोनिया गांधी ने नेताओं से कहा कि पार्टी ने बहुत दिया है। अब कर्ज चुकाने का समय है। गहलोत से जब सोनिया गांधी के पार्टी नेताओं से कर्ज चुकाने का समय होने के बयान पर पूछा गया तो वह टाल गए। गहलोत से पूछा गया कि जिन नेताओं को पद मिल गया, अब त्याग कौन करेगा, इसका जवाब नहीं दिया।



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Sun, May 15 , 2022, 01:49 AM