श्रीमद्भागवत की पूजा से घर में लक्ष्मी का होता है वास:जियर स्वामी

Sun, Jan 02 , 2022, 03:01 AM

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आरा। भोजपुर जिले के गड़हनी प्रखण्ड स्थित बगवां गांव में आयोजित ज्ञान यज्ञ के समापन पर भारत के महान संत,सनातन धर्म और सनातन संस्कृति के प्रचारक श्री लक्ष्मी प्रपत्र जियर स्वामी ने कहा कि भगवान के अवतार की कथा को एक बार नही बल्कि बार बार सुनना चाहिए।जिस घर मे श्रीमद्भागवत की पूजा होती है उस घर में लक्ष्मी का वास होता है।भगवान के अवतार की कथा बार बार सुनने से हृदय के सारे विकार नष्ट हो जाते हैं और मानव जाति को स्वास्थ्य का सीधा लाभ मिलता है।
उन्होंने ज्ञान यज्ञ के समापन के अवसर पर हजारो,स्त्री पुरुष और श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए भगवान के अवतार की बार बार कथा सुनने की बात कहते हुए इसका तर्क भी समझाया और कहा कि जिस तरह एक बार भोजन करने से या एक बार सांस लेने से काम नही चलता ठीक उसी तरह एक बार भगवान के अवतार का कथा सुन लेने से काम नही चलता।भगवान के अवतारों की कथा बार बार सुनने से मन का विकार बाहर निकल जाता है और मन को शांति मिलती है।
जियर स्वामी ने कहा कि कथा एक संस्कार है और यह ईश्वर की कृपा भी है।कथा को बार बार सुनने से ईश्वर की कृपा बरसने लगती है और जीवन धन धान्य हो जाता है।इससे जीवन मे शालीनता आती है,सादगी आती है,विनम्रता आती है और जीवन मे शांति का अहसास होता है।अपने हित और स्वार्थ के लिए जीवों को नही मारने की बात कहते हुए जियर स्वामी ने कहा कि किसी भी जीव को प्रताड़ित करने या मारने का अधिकार किसी को नही है,इसलिए किसी जीव को नही मारना चाहिए।सभी जीवों को जीने का पूरा अधिकार है और मनुष्य को उन्हें जीने देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी जीवों को ईश्वर ने जन्म दिया है और ईश्वर ही उनका पालन पोषण करते हैं।अगर कोई जीवों की हत्या करता है तो वह घोर नरक का भागी होता है।जियर स्वामी ने प्रवचन में आये जनसमूह को ज्ञान बांटते हुए कहा कि भगवान के अवतारों की कथा बार बार सुनने से मन सांसारिक मोह माया में फंसने से बच जाता है।उन्होंने कहा कि बाल्मीकि जी ईश्वर का नाम जपते जपते गलत मार्गो से हटकर प्रशस्त मार्गो के अधिकारी बन गए।अंगुलिमार डाकू गौतम बुद्ग के उपदेशों को सुनकर अहिंसा का पुजारी बन गया।कालिदास जी अपनी पत्नी की कृपा से धन्य हो गए।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को श्रीमद्भागवद सुनना चाहिए।कर्म करते समय व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि जो जैसा कर्म करता है वैसा ही फल मिलता है।उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने जीभ के स्वाद के लिए मांसाहार भोजन नही करना चाहिए और न ही मांसाहार भोजन के लिए जीवों की हत्या करनी चाहिए।जिले के गड़हनी प्रखण्ड के बगवां गांव में चल रहे ज्ञान यज्ञ का समापन धार्मिक अनुष्ठानों के बीच उत्साह और उमंग के साथ रविवार को संपन्न हो गया है।

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